Ganesh Chaturthi 2020: गणेशोत्सव के दौरान भक्त श्रीगणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं। स्थापित प्रतिमा की श्रद्धानुसार 3,5 या 10 दिनों तक पूजन करते हैं उसके बाद उसको विसर्जित कर देते हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं श्रीगणेश मूर्ति की स्थापना की जाती है और कैसे श्रीगणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है और क्या इसका शास्त्रोक्त विधान होता है। यदि आपके पास समय कम है तो आप इस तरह से संक्षिप्त पूजन कर सकते हैं।
प्रातः काल शुद्ध होकर यानी स्नान आदि से निवृत्त होकर गणेश जी के सम्मुख बैठ कर उनका ध्यान करें और फूल, रोली ,अक्षत आदि वस्तुओं से पूजन करें और गणपतिजी को विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं और 11 या 21दूर्वा समर्पित करें| भोग के लिए मोदक, लड्डू और ऋतुफल, नारियल, पंचामृत और पान समर्पित करें।
अगरबत्ती और दीप जलाने के बाद इन मंत्रों का मन ही मन 11, 21 या इससे अधिक बार जप करें।
ओम चतुराय नम:
ओम गजाननाय नम:
ओम विघ्रराजाय नम:
ओम प्रसन्नात्मने नम:
पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश आरती कर सुख, समृद्धि और सफलता की कामना करें।
सामान्यत: किसी भी देवता का पूजन शास्त्रोक्त विधान के अनुसार किया जाता है। इसलिए श्रीगणेशजी के पूजन में भी कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाता है। गणपतिजी की पूजा का पूजा विधान इस तरह भी किया जाता है। इस तरह पूजा करने से छोड़ा ज्यादा समय लगता है।
पूजन सामग्री :
शुद्ध जल, या गंगाजल, सिन्दूर, कुमकुम ,रक्षासूत्र , वस्त्र, कपूर, घी, दही, दूर्वा, फूल, पान, पूजा की सुपारी, रूई, लड्डू, मोदक, पंचामृत आदी का प्रसाद।
पूजन विधि :
गणेश जी की मूर्ति को स्थापित कर, श्रद्धा पूर्वक फूल समर्पित करें। मिट्टी या धातु की मूर्ति न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहान मंत्र बोलकर अक्षत समर्पित करें।
आवाहन मंत्र :
शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् । प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ।।
षोडशोपचार पूजन विधि :
ओम सिद्धि विनायकाय नमः - ध्यायामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - आवाहयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - आसनं समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - अर्घ्यं समर्पयामि , ओम सिद्धि विनायकाय नमः, पाद्यं समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - आचमनीयं समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - उप हारं समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - पंचामृत स्नानं समर्पयामि , ओम सिद्धि विनायकाय नमः - वस्त्र युग्मं समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - यज्ञोपवीतं धारयामि, ओमसिद्धि विनायकाय नमः - आभरणानि समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - गंधं धारयामि , ओम सिद्धि विनायकाय नमः - अक्षतान् समर्पयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - पुष्पैः पूजयामि, ओम सिद्धि विनायकाय नमः - प्रतिष्ठापयामि।


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