पानी की बचत व जल संरक्षण कैसे करे, उपाय, कविता | Save Water Upay Poem Slogans in Hindi :
कहते है जल ही जीवन है लेकिन मनुष्य के पिने योग्य जल हमारी इस धरा पर कितना है ? यह एक चिंता का विषय है। क्योकि मनुष्य या अन्य कोई भी जीव बिना जल के अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है। इस लिए यह हमारे लिए अति आवश्यक है की हम जल का सरक्षण करे. परन्तु कैसे ?
आज हम आपको जल सरक्षण पर कई ऐसे मह्त्वपूण बिन्दुओ अथवा उपायों एवं कविता के माध्यम बताएंगे जिनसे जल सरक्षण करना संभव है। साथ ही हम आपको जल सरक्षण पर कई निमंध भी बतायंगे। जिससे हम हमारे आने वाले भविष्यो को सुरक्षित कर सके और हम आपने पीढ़ियों को ऐसे विकराल आपदा का शिकार ना बनने दे.
हमारी पृथ्वी का 70% भाग जल से डूबा हुआ है लेकिन 2 % ही इसमें से उपयोग करने योग्य है. हमें जल को बहुत सहेज के रखने की जरुरत है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हम एक एक बूँद को तरसेंगे. पानी एक ऐसा धन है जिसे हम सरक्षण कर रखेंगे तभी हमारी आने वाली पीढ़ी उसे उपयोग कर पायेगी. जल है तो कल है.
पानी की बर्बादी को रोकने के लिए हम अपने घरों से ही शुरुआत कर सकते है. बस थोड़ीसी समझदारी और एक सही उठाये हुए कदम के साथ हम अपनी आने वाली पीढ़ी को यह तोहफा दे सकते है.
पानी की बचत कैसे करे और बचाने के तरीके (How to Save water in Hindi)
- नल को खुला ना छोड़े – आप जब भी ब्रश करें, दाढ़ी बनायें, सिंक में बर्तन धोएं, तो जरूरत ना होने पर नल बंद रखे, बेकार का पानी ना बहायें. ऐसा करने से हम 6 लीटर हर एक min में पानी बचा सकते है. नहाते समय भी बाल्टी से पानी को व्यर्थ ना बहायें.
- नहाने के लिए शावर की जगह बाल्टी का उपयोग करें. अगर शावर उपयोग भी करें तो छोटे वाले लगायें, जिससे पानी की कम खपत हो. शावर का उपयोग ना करके हम 40-45 लीटर पानी हर 1 min में बचा सकते है.
- जहाँ कहीं भी नल लीक करे, उसे तुरंत ठीक करवाएं. नहीं तो उसके नीचे बाल्टी या कटोरा रखें और फिर उस पानी का प्रयोग करें.
- लो पॉवर वाली वाशिंग मशीन उपयोग करें, इससे पानी की बचत होती है एवं बिजली भी कम लगती है. वाशिंग मशीन में रोज थोड़े थोड़े कपड़े धोने की जगह इक्कठे करके धोएं.
- पोधों में पानी पाइप की जगह वाटर कैन से डालें, इससे बहुत कम पानी उपयोग होता है. पाइप से 1 घंटे में 1000 लीटर पानी तक पानी उपयोग हो जाता है, जो पूरी तरह से पानी का नुकसान है. हो सके तो कपड़े धोने वाले पानी को पोधों पर डालें.
- घर में पानी का मीटर लगवाएं. आप जितना पानी उपयोग करेंगे, उसके हिसाब से उसका बिल आएगा. बिल देते समय आपको समझ आएगा कि आपने कितना बर्बाद किया है और फिर आगे से ध्यान रखेंगे.
- गीजर से गर्म पानी निकालते समय उसमें पहले ठंडा पानी आता है जिसे हम फेंक देते है. ऐसा नहीं करें, ठन्डे पानी को अलग बाल्टी में भरें, फिर गर्म पानी को दूसरी में. इस पानी को आप दूसरी जगह उपयोग कर सकते है.
- फ्लश में भी बहुत अधिक पानी उपयोग होता है, इसलिए ऐसा फ्लश लगवाएं जिसमें पानी का फ़ोर्स कम हो.
- नालियां हमेशा साफ रखें, क्यूंकि जब ये चोक हो जाती है तो साफ करने के लिए बहुत पानी को बहाया जाता है. इसलिए पहले से ही साफ सफाई रखें.
- पेड़ पोधे लगायें जिससे अच्छी बारिश हो और नदी नाले भर जाएँ.
पानी बचाओ कविता (Save Water Hindi Poem)
माना पानी का नही हैं मोल
पर जीवन के लिए हैं ये अनमोल
साँसे जहाँ चलती हैं
वहीँ पानी से पनपती हैं
यह महज़ एक कविता नहीं
जीवन की एक सीख हैं
पानी बचाओ पानी बचाओ
वर्ना दुखदाई अंत हैं
जल की कोई सीमा नहीं
पर पिने को वो योग्य नहीं
जो जल जीवन बनाता हैं
वो हर जगह नहीं मिल पाता हैं
करो इसका मोल अभी
वर्ना पछताओगे
पानी बचालो आज सभी
वर्ना कठिन समस्या पाओगे
निबंध 1 (300 शब्द)
धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है क्योंकि बिना जल के जीवन सभव नहीं है। पूरे ब्रह्माण्ड में एक अपवाद के रुप में धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है क्योंकि धरती इकलौता अकेला ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन मौजूद है। पानी की जरुरत हमारे जीवन भर है इसलिये इसको बचाने के लिये केवल हम ही जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि राजस्थान में लड़कियाँ स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जो उनके पूरे दिन को खराब कर देती है इसलिये उन्हें किसी और काम के लिये समय नहीं मिलता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16,632 किसान (2,369 महिलाएँ) आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं। इसलिये हम कह सकते हैं कि भारत और दूसरे विकासशील देशों में अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है। पानी की कमी वाले ऐसे क्षेत्रों में, भविष्य पीढ़ी के बच्चे अपने मूल शिक्षा के अधिकार और खुशी से जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
जल संरक्षण
भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, पानी की कमी के सभी समस्याओं के बारे में हमें अपने आपको जागरुक रखना चाहिये जिससे हम सभी प्रतिज्ञा ले और जल संरक्षण के लिये एक-साथ आगे आये। ये सही कहा गया है कि सभी लोगों का छोटा प्रयास एक बड़ा परिणाम दे सकता है जैसे कि बूंद-बूंद करके तालाब, नदी और सागर बन सकता है।
जल संरक्षण के लिये हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरुरत नहीं है, हमें केवल अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ सकारात्मक बदलाव करने की जरुरत है जैसे हर इस्तेमाल के बाद नल को ठीक से बंद करें, फव्वारे या पाईप के बजाय धोने या नहाने के लिये बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें। लाखों लोगों का एक छोटा सा प्रयास जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है।
निबंध 2 (400 शब्द)
जल संरक्षण
जीवन को यहाँ संतुलित करने के लिये धरती पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा जल संरक्षण ही जल बचाना है।
धरती पर सुरक्षित और पीने के पानी के बहुत कम प्रतिशत के आंकलन के द्वारा, जल संरक्षण या जल बचाओ अभियान हम सभी के लिये बहुत जरूरी हो चुका है। औद्योगिक कचरे की वजह से रोजाना पानी के बड़े स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। जल को बचाने में अधिक कार्यक्षमता लाने के लिये सभी औद्योगिक बिल्डिंगें, अपार्टमेंटस्, स्कूल, अस्पतालों आदि में बिल्डरों के द्वारा उचित जल प्रबंधन व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिये। पीने के पानी या साधारण पानी की कमी के द्वारा होने वाली संभावित समस्या के बारे में आम लोगों को जानने के लिये जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिये। जल की बर्बादी के बारे में लोगों के व्यवहार को मिटाने के लिये इसकी त्वरित जरुरत है।
गाँव के स्तर पर लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। उचित रख-रखाव के साथ छोटे या बड़े तालाबों को बनाने के द्वारा बरसात के पानी को बचाया जा सकता है। युवा विद्यार्थियों को अधिक जागरुकता की आवश्यकता है साथ ही इस मुद्दे के समस्या और समाधान पर एकाग्र होना चाहिये। विकासशील विश्व के बहुत से देशों में रहने लोगों को जल की असुरक्षा और कमी प्रभावित कर रही है। आपूर्ति से बढ़कर माँग वाले क्षेत्रों में वैश्विक जनसंख्या के 40% लोग रहते हैं। और आने वाले दशकों में ये परिस्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि सबकुछ बढ़ेगा जैसे जनसंख्या, कृषि, उद्योग आदि।
जल बचाव के तरीके
जीवनशैली में बिना किसी बदलाव के पानी बचाने के कुछ बेहतरीन तरीकों को हमने आपसे साझा किये। घर का कोई सदस्य घरेलू कार्यों के लिये रोज लगभग 240 लीटर पानी खर्च करता है। एक चार सदस्यों वाला छोटा मूल परिवार औसतन 960 लीटर प्रतिदिन और 350400 लीटर प्रतिवर्ष खर्च करता है। रोजाना पूरे उपभोग का केवल 3% जल ही पीने और भोजन पकाने के लिये उपयोग होता है बाकी का पानी दूसरे कार्यों जैसे पौधों को पानी देना, नहाना, कपड़े धोना आदि में इस्तेमाल होता है।
जल बचाव के कुछ सामान्य नुस्ख़े:
- सभी को अपनी खुद की जिम्मेदारी को समझना चाहिये और पानी और भोजन पकाने के अलावा पानी के अधिक उपयोग से बचना चाहिये।
- अगर धीरे-धीरे हम सभी लोग गार्डन को पानी देने से, शौच में पानी डालने से, साफ-सफाई आदि के लिये पानी की बचत करने लगेगें, प्रति अधिक पानी का बचत संभव होगी।
- हमें बरसात के पानी को शौच, लाँड्री, पौधौ को पानी आदि के उद्देश्य लिये बचाना चाहिये।
- हमें बरसात के पानी को पीने और भोजन पकाने के लिये एकत्रित करना चाहिये।
- हमें अपने कपड़ों को केवल धोने की मशीन में धोना चाहिये जब उसमें अपनी पूरी क्षमता तक कपड़े हो जाएँ। इस तरीके से, हम 4500लीटर पानी के साथ ही बिजली भी प्रति महीने बचा लेंगे।
- फुहारे से नहाने के बजाय बाल्टी और मग का प्रयोग करें जो प्रति वर्ष 150 से 200लीटर पानी बचायेगा।
- हमें हर इस्तेमाल के बाद अपने नल को ठीक से बंद करना चाहिये जो 200 लीटर पानी हर महीने बचायेगा।
- होली त्योहार के दौरान पानी के अत्यधिक इस्तेमाल को कम करने के लिये सूखी और सुरक्षित को बढ़ावा देना चाहिये।
- जल बर्बादी से हमें खुद को बचाने के लिये अपने जीने के लिये जल की एक-एक बूंद के लिये रोज संघर्ष कर रहे लोगों की खबरों के बारे में हमें जागरुक रहना चाहिये।
- जागरुकता फैलाने के लिये हमें जल संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिये।
- गर्मी के मौसम में कूलर में अधिक पानी बर्बाद न होने दें, केवल जरुरत भर का ही इस्तेमाल करें।
- हमें पाइप के द्वारा लॉन, घर या सड़कों पर पानी डालकर नष्ट नहीं करना चाहिये।
- पौधारोपण को वर्षा ऋतु में लगाने के लिये प्रेरित करें जिससे पौधों को प्राकृतिक रुप से पानी मिलें।
- हमें अपने हाथ, फल, सब्जी आदि को खुले हुए नल के बजाय पानी के बर्तन से धोने की आदत बनानी चाहिये।
- हमें दोपहर के 11 बजे से 4 बजे तक पौधों को पानी देने से बचना चाहिये क्योंकि उस समय उनका वाष्पीकरण हो जाता है। सुबह या शाम के समय पानी देने से पौधे पानी को अच्छे से सोखते हैं।
- हमें पौधरोपण को बढ़ावा देना चाहिये जो सुखा सहनीय हो।
- हमें पारिवारिक सदस्यों, बच्चों, मित्रों, पड़ोसियों और सह-कर्मचारियों को सकारात्मक परिणाम पाने के लिये अपने अंत तक यही प्रक्रिया अपनाने या करने के लिये प्रेरित करना चाहिये।
निष्कर्ष:
धरती पर जीवन का सबसे जरूरी स्रोत जल है क्योंकि हमें जीवन के सभी कार्यों को निष्पादित करने के लिये जल की आवश्यकता है जैसे पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़ा धोने, फसल पैदा करने आदि के लिये। बिना इसको प्रदूषित किये भविष्य की पीढ़ी के लिये जल की उचित आपूर्ति के लिये हमें पानी को बचाने की जरुरत है। हमें पानी की बर्बादी को रोकना चाहिये, जल का उपयोग सही ढंग से करें तथा पानी की गुणवत्ता को बनाए रखें।
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