अजब गज़ब खूंखार पौधे :- Ajab Gajab Podhe
नाजुक और सुंदर से दिखने वाले पौधे बहुत ज्यादा खतरनाक भी हो सकते है। पौधो को 600 से ज्यादा प्रजातिया मांसाहारी होती है। लेकिन यह पौधे भी जटील पर्यावरण व्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
ऐसे पौधे किट पतंगो को खा कर उनकी संख्या सीमित रखते है। जंगलो के साथ - साथ ऐसे पौधे समुन्द्र की गहराईयों में भी काफी पाए जाते है। जब कई सो सालों पहले भारत के एक विशेषज्ञय ने इन खतरनाक मांसाहारी पौधो को देखा तो कहा की यह भगवान की नीति के खिलाफ है। क्योकि उन्होंने पहली बार किसी पौधे को मास खाते देखा था।
वैसे सभी प्रकार के पौधे हम मनुष्यों के लिए काफी कीमती होते है। लेकिन कुछ पौधे ऐसे भी है जो जहरीले होने के कारण हमें भी नुकसान पहुँचा सकते है। ऐसे पौधे से दूर ही रहना चाहिए। यह पौधे छोटे कीटों से लेकर चूहे, छिबकली और यहाँ तक की पक्षियों को भी खा जाते है।
मांसाहारी पौधों की खोज सर्वप्रथम 1875 में हुई थी। चार्ल्स डार्विन ने इन पौधों के बारे में लिखा है। ‘कुछ पौधों में न केवल छोटे जीवों को पकड़ने की क्षमता है, बल्कि उन्हें पचाकर उनमें मौजूद पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता भी है। यह बात उन्होंने सौ साल से ज्यादा समय पहले कही थी, परन्तु आज भी हम मांसाहारी पौधों को देखकर अचम्भा हुए बिना नहीं रहते।
आमतौर पर मांसाहारी पौधे ऐसी मिट्टी में उगते हैं। जिसकी प्रकृति अम्लीय अथवा दलदली होती है। इस तरह की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बहुत कम होती है और इस कमी को पूरा करने के लिये ये पौधे कीटों को पकड़कर उनके शरीर से नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं।
यह जानकर आप चौंक जाओगे की बहुत से मांसाहारी पोधो की दवाईयां भी बनाई जाती है। जिन दवाईयों को साधारण पेट दर्द एवं अन्य रोगों में ली जाती है।
अब आप इस पौधे को देखिए। बहुत ही खूबसूरत दिखाई देने वाला यह पौधा छोटे जीवों के लिए किसी यमराज का दूत ही है। देखने में किसी कीड़े की तरह दिखाई देने वाला यह पौधा पेरोटोगीस सन ड्यू है।
इस पौधे का वानस्पतिक नाम ड्रोसेरा (Drosera) है। यह हमारे देश के अनेक भागों में पाया जाता है। इसके पत्तों पर अनेक रेशे निकले रहते हैं। जो एक चिपचिपा रस पैदा करते हैं। यह रस सूरज की रोशनी में ओस के कणों के समान चमकता है। इन चमकती बूँदों की ओर कीट आकर्षित होते हैं। इस पौधे पर बैठने के बाद वह इस रस से चिपक जाते है।
इसके पश्चात कीटों के छटपटाने से लम्बे रेशे सक्रिय हो जाते हैं और वे चारों तरफ से कीट को जकड़कर बंदी बना लेते हैं। इन रेशोें से एक प्रकार का पाचक द्रव भी निकलता है। जो कीटों के पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है। इनका पाचन पूर्ण होने पर पुनः सीधे हो जाते हैं और अगले शिकार की प्रतीक्षा करने लगते हैं।
मासाहारी पोधो में सबसे ज्यादा विख्यात पौधा है वीनस फ्लाई ट्रैप। इस पौधे का वानस्पतिक नाम डायोनिया मसीपुला (Dionaea muscipula) है। यह पौधा मुख्य रूप से अमरीका के कैरोलिना क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके पत्ते दो भागों में बँटे होते हैं और दोनों के मध्य एक उभार होता है।
पत्ते के दोनों भागों की सतह पर संवेदनशील बाल जैसे रेशे होते हैं। इनमें से किसी को कोई छू ले तो पत्ते के दोनों भाग तुरन्त बन्द हो जाते हैं और कीट को अपने भीतर कैद कर लेते हैं। कीट को पूरा पचाने के पश्चात पत्ते कै दोनों भाग पुनः खुल जाते हैं और अन्य शिकार की प्रतीक्षा करने लगते हैं। वैसे अभी तक ऐसा कोई भी प्लांट धरती पर मौजूद नहीं है जो इंसानो और बड़े जानवरो को खाता हो।
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